News Fortunes | 14 जनवरी 2018
जहा मकर संक्रांति के त्यौहार पर तिल और गुड का महत्व हैं वही दूसरी ओर पूरे भारत में पतंगबाजी की भी धूम रहती हैं. लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि देश में पतंग उड़ाने के लिए भी परमिट जरूरी हैं. यही नहीं, कानून के मुताबिक पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस का होना आवश्यक हैं और न होने पर १० लाख रुपए तक का जुर्माना व सजा का प्रावधान हैं. सिम्बॉयसिस लॉ स्कूल, नोएडा की एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीति शिखा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुराने व गैर जरूरी कानूनों को समाप्त किए जाने को लेकर छेड़े गए अभियान में सहयोग करने के लिए हम लोगों ने थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के साथ मिलकर ऐसे कानूनों का पता लगाने के लिए शोधकार्य शुरू किया. इस शोधकार्य में एयरक्राफ्ट एक्ट १९३४ का पता लगा जिसके तहत उड़ाई जाने वाली वस्तुओं (पतंग और बैलून भी) को उड़ाने, निर्माण और मरम्मत करने के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता का वर्णन हैं. ऐसा न करने पर १० लाख रूपए जुर्माने और दो साल के कारावास अथवा दोनों का प्रावधान हैं.
भारतीय थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी ने देश के पांच लॉ कॉलेजों (महाराष्ट्र नेशनल लॉ कॉलेज, एमएनएलयू मुम्बई, सिम्बॉयसिस लॉ स्कूल नोएडा, हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रायपुर, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बैंगलोर और द नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च-हैदराबाद) के छात्रों ने नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू और डीजीसीए को पत्र लिखकर पतंग उड़ाने के लिए आवश्यक लाइसेंस प्रदान करने की मांग की हैं. लाइसेंस की मांग करने वाले लोगों का कहना हैं कि एयरक्राफ्ट एक्ट १९३४ के तहत पतंग और बैलून उड़ाने, उसका निर्माण करने व मरम्मत करने का काम सरकार द्वारा जारी लाइसेंस हासिल किए जाने के बाद ही किया जा सकता हैं.
ऐसा नहीं करने पर इसे गैरकानूनी माना जाएगा, जिसके तहत कड़ी सजा का प्रावधान हैं. सीसीएस के एडवोकेसी एसोसिएट नीतेश आनंद ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने के इस कानून के बारे में पता लगने के बाद हमने इसमें सुधार के लिए लॉ कमीशन व प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं इसलिए मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाने के पहले हमने सरकार से आवेदन कर लाइसेंस की मांग की ताकि हम कानूनी तरीके से ऐसा कर सकें. उन्होंने कहा कि यदि हमें लाइसेंस नहीं दिया जा सकता तो कम से कम इसमें आवश्यक सुधार ही कर दिया जाए ताकि पतंग बनाकर आजीविका कमाने वाले गरीब लोगों व पतंग उड़ाने वालों को कानून तोड़ने की जरूरत न पड़े. ऐसे कई कानून वर्तमान में मौजूद हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं हैं.
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