दिल्ली के स्ट्रीट वेंडर्स नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा चालान के नाम पर मनमाना जुर्माना वसूलने से लंबे समय से परेशान हैं.वहीं कई पार्षदों द्वारा इस मामले को निगम की बैठक में भी उठाया जा चुका है.
– सेंटर फॉर सिविल सोसायटी की कानूनी लड़ाई लाई रंग, गरीब स्ट्रीट वेंडर्स को राहत
– जिस सेक्शन में चालान की अधिकतम राशि 50 रुपये, उसके लिए वसूले जाते ज्यादा पैसे
दिल्ली के गरीब स्ट्रीट वेंडर्स को बड़ी राहत मिली है. चालान के नाम पर अनाप-शनाप जुर्माना वसूलने के एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली के एक सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को चालान दस्तावेज में आधारित सेक्शन के अनुरुप ही जुर्माना राशि निश्चित करने की हिदायत दी है.
इसके साथ ही चालान के सेक्शन में बाद में बदलाव कर चालान की राशि को तर्कसंगत ठहराने की कोशिश को भी अनुचित कदम बताया है. बता दें कि दिल्ली के स्ट्रीट वेंडर्स नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा चालान के नाम पर मनमाना जुर्माना वसूलने से लंबे समय से परेशान हैं.वहीं कई पार्षदों द्वारा इस मामले को निगम की बैठक में भी उठाया जा चुका है.
ताजा मामला दक्षिणी दिल्ली के गौतम नगर मार्केट का है. जहां सड़क किनारे रेहड़ी पर फल बेचकर रोजी-रोटी कमाने वाले समजद, अमजद और कामेश्वर का सेक्शन 357 और 397 के तहत चालान हुआ. एसडीएमसी द्वारा भेजे गए इस चालान में तीनों को एक-एक हजार रुपये जुर्माना जमा कराने की बात कही गई थी. जबकि उपरोक्त सेक्शन के तहत अधिकतम 50 रुपये के फाइन का प्रावधान है.
इससे पहले भी इसी इलाके में कई स्ट्रीट वेंडर्स से इसी सेक्शन के तहत तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला जा चुका है. रेहड़ी पटरी व्यवसायियों की आजीविका की आजादी के लिए काम कर रही थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (CCS) की पहल से इस मनमाने रवैये के खिलाफ दाखिल मामले की सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट (साकेत) के जज सुनैना शर्मा ने मजिस्ट्रेट सिबा प्रसाद के फैसले को गलत बताते हुए वास्तविक चालान राशि से अधिक जुर्माना न वसूलने की हिदायत दी है.
इसके साथ ही मजिस्ट्रेट को जुर्माना राशि को सही ठहराने के लिए चालान में बाद में नए सेक्शन जोड़ने को भी अनुचित कदम बताया. स्ट्रीट वेंडर्स की ओर से सीसीएस के अधिवक्ता प्रशांत नारंग ने न्यायाधीश द्वारा शिकायत पर की गई सुनवाई और दिए गए फैसले को दिल्ली के स्ट्रीट वेंडर्स की बड़ी जीत बताया है.
उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता न मिलने से स्ट्रीट वेंडर्स को मजबूरी में मनमाना शुल्क चुकाना पड़ता है, जिससे स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के तहत मिले उनके अधिकारों का हनन होता है. प्रशांत के मुताबिक इस फैसले से स्ट्रीट वेंडर्स को मनमाने जुर्माने को चुकाने से आजादी मिलेगी.