एक्ट से पहले ही एक्शन में आए स्ट्रीट वेंडर
ईटी ब्यूरो नई दिल्ली: स्ट्रीट वेंडर्स बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी के बाद राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार कर रहे स्ट्रीट वेंडर्स ने इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए कमर कसनी शुरू कर दी है। जहां एक ओर उन्होंने स्थानीय निकायों, पुलिस और प्रशासन के साथ इसके कई पहलुओं को लेकर बातचीत शुरू कर दी है, वहीं कई थिंकटैंक और एनजीओ भी इसमें उनकी मदद को आगे आ रहे हैं। टाउन कमेटियों के गठन, तय कोटे के मुताबिक इसमें सभी वर्गों के लोगों को जगह और विभन्न सरकारी विभागों के साथ तालमेल बिठाने सहित कई मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई है।
स्ट्रीट वेंडर्स लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन बिल को राज्य सभा ने पिछले महीने मंजूरी दी थी, जबकि लोकसभा से यह पहले ही पारित हो गया था। नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (नासवी) के कन्वेनर अरविंद सिंह ने बताया, 'हम इसका प्रोविजनल चार्टर तैयार कर रहे हैं। वेंडर्स को जागरूक करने और कानूनी पहलुओं की ट्रेनिंग पर भी काम हो रहा है। इसके लिए महीने के आखिर में एक कॉन्फ्रेंस बुलाई गई है, जिसमें कई नगर निगमों के मेयर, प्रशासनिक अधिकारी, कानूनी जानकार शामिल होंगे। इस बात के लिए भी तैयारी शुरू हो गई है कि टाउन वेंडिंग कमेटियों और लाइसेंसिंग प्रोसेस को मौजूदा हालात में कैसे लागू कराया जाए।' उन्होंने आशंका जताई कि कानून बनने के बाद भी कई राज्य और विभाग इसके आड़े आ सकते हैं। ऐसे में वे पहले ही उन आशंकाओं के लिए तैयार रहना चाहते हैं।
स्ट्रीट वेंडर्स के लिए जीविका नाम से कैंपेन चलाने वाले थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हरीश श्रीवास्तव ने कहा, 'यह बिल लागू होते ही मार्केट में डिमांड और सप्लाई चेन ज्यादा सशक्त होगी, क्योंकि लाखों की तादाद में काम करे रहे हॉकर्स, वेंडर्स और रेहड़ी-पटरी वालों को काम करने का सुनिश्चित, व्यवस्थित और वैधानिक आधार मिल जाएगा। अब हम इस बात के लिए कैंपेन चला रहे हैं कि कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सभी राज्य इसे तुरंत और प्रभावी ढंग से लागू करें। इसके अलावा हम कई दूसरे संगठनों को साथ ले रहें हैं और वेंडर्स को गाइड कर रहे हैं।'
बिल में प्रावधान है कि किसी शहर, कस्बे, वार्ड या जोन की आबादी का 2.5 पर्सेंट लोगों को वेंडिंग लाइसेंस दिए जा सकते हैं। इसके लिए वेंडिंग साइटें चिन्हित करने की जिम्मेदारी वेंडिंग कमेटियों की होगी। पुलिस और सिविक एजेंसियों का अधिकार कम कर दिया गया है। वेंडर को उसकी जगह से हटाने, माल जब्त करने या रिलोकेट करने के लिए भी नॉर्म्स बनाए गए हैं और उनसे अलग किसी अन्य वजह से ऐसा नहीं किया जा सकता। वेंडिंग साइटों का अलॉटमेंट लॉटरी सिस्टम से होगा, लेकिन इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए कोटा तय कर दिया गया है।
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