10वें स्कूल च्वाइस नेशनल कॉंफ्रेंस के दौरान शिक्षाविदों ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली को बताया अप्रासंगिक आरटीई हड़बड़ी में लाया गया कानून, खामियों की भरमारः चंद्रभूषण शर्मा
नई दिल्ली। देश की शिक्षा प्रणाली दशकों पुराने ढर्रे पर चल रही है जबकि दुनिया तेजी बदल रही है। अलग अलग छात्रों की सीखने व समझने की क्षमता अलग अलग होती है जबकि वर्तमान प्रणाली अभी भी सभी छात्रों को समान तरीके से 'ट्रीट' करती है। छात्रों का सर्वांगीण विकास हो इसके लिए जरूरी है कि उन्हें वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ज्ञान प्रदान किया जाए।
ये बातें थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी द्वारा आयोजित 10वें वार्षिक स्कूल च्वाइस नेशनल कांफ्रेंस के दौरान उभर कर आईं। शुक्रवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इस कांफ्रेंस का विषय, 'ऑल्टरनेटिव एजुकेशनः फिलॉसोफी, प्रैक्टिस, पॉलिसी' था। कांफ्रेंस के मुख्य वक्ता न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, यूके के प्रोफेसर व प्रतिष्ठित टेड पुरस्कार विजेता डा. सुगाता मित्रा ने वंचित तबके के बच्चों को वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली सोल (एसओएलई) के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के अपने अनुभव को साझा किया। अपने प्रयोगों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यदि छात्रों को स्व-संयोजित (सेल्फ ओर्गनाइज्ड) शिक्षण का माहौल मिले तो उनके सीखने की क्षमता में आश्चर्यजनक परिवर्तन होता है।
कांफ्रेंस के दौरान 'फिलोसॉफीः एजुकेशन बियान्ड कन्वेंशनल क्लासरूम्स', 'प्रैक्टिसः एक्सपेरिमेंट्स इन आल्टरनेटिव एजुकेशन' व 'पॉलिसीः इग्जामिनिंग रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क्स' विषयक तीन पैनल परिचर्चाओं का भी आयोजन किया गया। इस दौरान पूर्व शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआईओएस) के चेयरमैन चंद्रभूषण शर्मा, लंदन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गीता गांधी किंगडन, पद्मश्री गीता धर्मराजन, सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के प्रेसिडेंट डा. पार्थ जे शाह, द इंडियन एसोसिएशन ऑफ होमस्कूलर्स की सुप्रिया जोशी, महात्मा गांधी इंटरनेशनल स्कूल की अंजु मुसाफिर, रिवरसाईड स्कूल की दीपा अवासिया, द येलो ट्रेन स्कूल की संथ्या विक्रम, ऑल्टरनेटिव स्कूलिंग इन इंडिया की डा. नीरजा राघवन, शिक्षांतर की विधि जैन, हिमालया इंस्टिट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स की गीतांजलि जेबी, द वैली स्कूल के एस गोपालन, टीआईएसएस के अजय कुमार सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए।
कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व सचिव अनिल स्वरूप ने शिक्षा में सुधार के लिए नई किसी पॉलिसी को लाने की बजाए पूर्व की पॉलिसियों के अनुपालन की बात कही। एनआईओएस के चेयरमैन चंद्रभूषण शर्मा ने देश में पॉलिटिकल पैरालिसिस की स्थिति होने की बात कही।