स्कूल खोलने को लेनी पड़ती हैं 14 से अधिक स्वीकृति

हर मंजूरी के लिए तय है फीस: सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी का अध्ययन, स्कूल खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार के पास आया सुझाव

नई दिल्ली. राजधानी में नया स्कूल खोलने के लिए आधा दर्जन से अधिक विभागों व एजेंसियों से करीब 14 सर्टिफिकेट या अनुमतियां लेनी पड़ती हैं। किसी भी अनुमति या सर्टिफिकेट के जारी होने की कोई तय समय सीमा नहीं है। अलबत्ता, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी का एक अध्ययन है कि हर अनुमति की अवैध रूप से एक फीस तय है, जिसके अदा करने के बाद ही वह सर्टिफिकेट मिल पाता है। इस अध्ययन के मुताबिक राजधानी में कक्षा 5 तक का स्कूल खोलने के लिए करीब 20 लाख रुपए की जरूरत होती है, यदि स्कूल आठवीं तक खोलना है तो यह राशि 40-50 लाख रुपए तक पहुंच जाती है और दसवीं तक के लिए यही राशि एक करोड़ रुपए चाहिए। और, 12वीं तक का स्कूल खोलने के लिए 1.5 से 2 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ती है। इस राशि में स्कूल की जमीन की कीमत शामिल नहीं है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि किसी एक प्लेटफॉर्म पर यह जानकारी उपलब्ध नहीं है कि स्कूल खोलने के लिए वास्तव में कितने सर्टिफिकेट व अनुमतियां आवश्यक हैं। यह स्थिति केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि सभी राज्यों में है। मालूम हो कि अकेले दिल्ली में साढ़े पांच हजार से ज्यादा सरकारी व निजी स्कूल हैं लेकिन इसके बावजूद करीब लाखों बच्चे स्कूलों से बाहर हैं।

स्कूल खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में निजी बजट स्कूलों की संस्था नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलाएंस (निसा) ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को एक विस्तृत सुझाव भेजा है। निसा के संयोजक अमित चंद्र ने बताया कि एक तरफ जब देश में गुणवत्तापूर्ण स्कूलों की कमी है, ऐसे में स्कूल खोलने की प्रक्रिया को कम पेचीदा व पारदर्शी बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह कहां तक उचित है कि स्कूल खोलने के लिए महज अनुमतियां लेने में ही तीन से पांच साल लग जाएं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एसेंशियल सर्टिफिकेट (आवश्यकता प्रमाणपत्र) देने की जरूरत नहीं है। लेकिन स्कूल खोलने की विधिवत प्रक्रिया न होने के चलते स्कूल संचालक आमतौर पर जिस वकील से बात करते हैं, वह उनसे ऐसे तमाम सर्टिफिकेट व एनओसी बनवा देते हैं, जिनकी कई दफा जरूरत नहीं होती।

उन्होंने सुझाव दिया है कि सबसे पहली बात सरकार को एक पन्ने की चेकलिस्ट प्रकाशित करनी चाहिए ताकि पता चल सके स्कूल खोलने के लिए कितने सर्टिफिकेट, एनओसी, रजिस्ट्रेशन, मंजूरियां या लाइसेंस लेने जरूरी हैं। सबकी मंजूरी या नामंजूरी की समयसीमा तय हो। पूरी प्रक्रिया सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए हो। रजिस्ट्रेशन, आवेदन, फिर आवेदन की ट्रैकिंग व मॉनिटरिंग भी ऑनलाइन की जाए। उन्होंने कहा कि अभी स्कूल खोलने के लिए करीब 15 आवेदन भरने पड़ते हैं, उन्हें खत्म करके एक एकीकृत आवेदन फॉर्म बना दिया जाए। हर विभाग आवेदन मिलने के बाद दो हफ्ते के भीतर उस पर फैसला अवश्य कर दे। वेबसाइट पर पूरी आवेदन प्रक्रिया का डेमो उपलब्ध हो, बार-बार पूछे जाने वाले सवाल व उनके जवाब के साथ-साथ टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए जाएं।

क्या है प्रक्रिया

दिल्ली में स्कूल खोलने के लिए सबसे पहले एक सोसाइटी (मुनाफा न कमाने वाली) रजिस्टर करनी पड़ती है। फिर शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्ति प्रमाणपत्र, सीबीएसई से संबद्धता प्रमाणपत्र, जमीन की खरीद का उचित हलफनामा, भवन योजना की एमसीडी या डीडीए से मंजूरी, एमसीडी से भवन का फिटनेस प्रमाणपत्र, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र, दिल्ली जल बोर्ड से पानी जांच रिपोर्ट, बैंक से नो लोन सर्टिफिकेट, डीडीए से कंपलीशन सर्टिफिकेट, शिक्षा विभाग से मंजूर प्रबंधन स्कीम, जमीन मालिक से जमीन के इस्तेमाल का प्रमाणपत्र (यदि जमीन किराए पर है)। मान्यता प्रमाणपत्र के लिए भी कम से कम 15 दस्तावेज जमा करने होता हैं।

शिक्षा विभाग ने राजधानी में स्कूल खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। सरकार चाहती है कि इस प्रक्रिया को सिंगल विंडो सिस्टम से चलाया जाए ताकि न केवल राजधानी में गुणवत्तापूर्ण स्कूलों की संख्या बढ़े बल्कि इसमें होने वाला भ्रष्टाचार भी खत्म हो।” - मनीष सिसौदिया, शिक्षा मंत्री, दिल्ली सरकार

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