निजी स्कूलों को प्रतिस्पर्धी नहीं सहयोगी के रूप में देखने की जरूरतः जय पांडा

दैनिक भास्कर | 04 December 2016

बीजू जनता दल के सांसद बिजयंत जय पांडा ने कहा है कि देश की अधिकांश समस्याएं आजादी के बाद के 50 वर्षों की नीतियों की देन हैं। पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियां कमोवेश सेवा प्रदाताओं को आगे बढ़ाने की बजाए स्वयं सेवा प्रदान करने की रहीं, जिस कारण लोगों को तो अच्छी सेवाएं प्राप्त हो सकीं ही सेवा प्रदाता आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में व्याप्त खामियां भी इसी भावना की देन है। पांडा ने कहा कि निजी स्कूलों को शिक्षा प्रदान करने के काम में सहयोगी के तौर पर देखना चाहिए कि सरकारी स्कूलों प्रतिस्पर्धी के रूप में। वह थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) द्वारा इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित 8वें स्कूल च्वाइस नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कांफ्रेंस का विषय नई शिक्षा नीति और बजट प्राइवेट स्कूल्स था। सीसीएस प्रेजिडेंट डा. पार्थ जे. शाह ने छोटे कम फीस वाले स्कूलों के लिए अलग शिक्षा बोर्ड गठित करने की मांग की।

कॉन्फ्रेंस के दौरान शिक्षा के क्षेत्र की चुनौतियों, अध्यापन के लिए अपनाए जाने वाले नवाचारों जश्नों पर आधारित ‘एडुडॉक : इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म कॉम्पटीशन’ की श्रेष्ठ 5 फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद डा. उदित राज के द्वारा ‘फॉल इन लाइन’, ‘ट्रांसफॉर्मिंग सिविक्स एडुकेशन, ट्रांसफॉर्मिंग कम्यूनिटीज़’ ‘ब्लैकबोर्ड’ को क्रमशः प्रथम, द्वितीय तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए। 6वीं से 9वीं कक्षा के छात्रों के बीच कराए गए पेंटिंग कॉम्पटिशन के दौरान प्राप्त तीन श्रेष्ठ पेंटिंग को भी उन्होंने अवार्ड सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। इस दौरान श्यामा प्रसाद मुकर्जी रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर डा. अनिर्बान गांगुली, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की प्रो. गीता किंगडन, नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कुलभूषण शर्मा, शिक्षाविद एसके भट्टाचार्या ने अलग अलग सत्रों को संबोधित किया।

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