NISA की तरफ से बुधवार को दिल्ली में एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में नई शिक्षा नीति में बदलाव के लिए सुझाव सामने रखे गए. कॉन्फ्रेंस के दौरान शिक्षकों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तरफ से जारी होने वाली नई शिक्षा नीति को लेकर लगातार सुझाव आ रहे हैं. नई शिक्षा नीति के मसौदे में केंद्र सरकार पहले ही कई बदलाव कर चुकी है. अभी भी कुछ संगठन इस नीति में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं.
नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस यानी NISA ने भी नई शिक्षा नीति में सरकार से बदलाव करने की मांग की है. नई एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने से पहले सरकार ने सभी से सुझाव मांगे हैं. नई पॉलिसी में कुछ बदलाव भी किए गए है. इसे अभी एक महीने के लिए टाल दिया गया है. बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर NISA ने अपनी मांगे रखी.
NISA प्रेस कॉन्फेंस की मुख्य बातें -
- प्राइवेट स्कूलों की नीति पर उठाए गए सवाल
- NISA ने मैनेजमेंट कमेटी का गठन करने के लिए दिए सुझाव
- पॉलिसी में शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर नहीं कोई नियम
न्यू एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव की मांग
NISA की तरफ से बुधवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. कॉन्फ्रेंस में देश के अलग-अलग राज्यों से आए NISA के अधिकारियों ने अपनी बात रखी.
उनका कहना था कि वो इस नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हैं. लेकिन अगर इस नीति को बिना महत्वपूर्ण बदलाव के लागू कर दिया इसका फायदा कुछ भी नहीं होगा.
NISA ने सरकार को दिए सुझाव
NISA के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को भी सभी सुझाव के बारे में अवगत करा दिया है. जिसमें सबसे बड़ा बदलाव स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के गठन को लेकर है.
नई शिक्षा नीति में मैनेजमेंट कमेटी का गठन करने की बात की गई है. साथ ही इसमें स्कूल से बाहरी व्यक्तियों को इसका अध्यक्ष बनाने के लिए कहा गया है.
शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर नियम नहीं
तेलंगाना राज्य की स्कूल लीडर और NISA के वाइस प्रेसिडेंट मधुसूदन ने बताया की इस नीति में टीचर्स की सुरक्षा को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं डाला गया है. वाइस प्रेसिडेंट मधुसूदन ने मांग की कि इस नीति में टीचर्स की सुरक्षा को लेकर भी प्रावधान डालने की बेहद आवश्यकता है.
प्राइवेट स्कूलों की नीति पर सवाल
NISA के कोषाध्यक्ष प्रेमचंद देसवाल ने बताया कि आज NISA इस देश का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है. जिसमें करीब साठ हजार स्कूल जुड़े हुए हैं. साथ ही स्कूलों से जुड़ी अलग-अलग एसोसिएशन भी इसके साथ हैं.
प्रेमचंद ने बताया कि केंद्र सरकार को प्राइवेट स्कूलों से अब टैक्स लेने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर स्कूलों के मालिक सरकार को टैक्स दें तो ब्लैक मनी का इस्तेमाल इस व्यवसाय में बिल्कुल खत्म हो जाएगा.