देश में बंदी की कगार पर एक लाख से अधिक सरकारी स्कूल : नीसा

ई-ईनाडु । 13 फरवरी 2016

सरकार के इस मनमानीपूर्ण रवैये के विरोध में देशभर के स्कूल संचालक व संगठन आगामी 24 फरवरी को जंतर मंतर पर विशाल धरना देंगे और प्रदर्शन करेंगे। कम शुल्क वसूलने वाले छोटे निजी स्कूलों के अखिल भारतीय संगठन, नीसा (नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने ये बातें प्रेस क्‍लब आफ इंडिया में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही हैं।

कुलभूषण शर्मा ने बताया कि निशुल्क शिक्षा, मिड-डे मील, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी आदि प्रदान करने के बावजूद छात्रों के अभाव में सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। लेकिन सरकार यह समझने को तैयार नहीं कि अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य संवारने हेतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहते हैं, जिसके लिए वे पैसे खर्च करने को भी तैयार हैं। लेकिन सरकार जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर रही है ताकि निजी स्कूल बंद हो जाएं और अभिभावकों को मजबूरी में अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना पड़े।

संवाददाता सम्मेलन के दौरान थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के असोसिएट डायरेक्टर अमित चंद्र ने कहा कि गुजरात में आरटीई की विसंगतियों से निबटने और निजी स्कूलों को राहत प्रदान करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगर तरीका निकाला था। उन्होंने स्कूलों की मान्यता बरकरार रखने व नए स्कूलों को मान्यता प्रदान करने के लिए अन्य चीजों के अलावा लर्निंग आउटपुट को भी महत्ता दी। अमित ने कहा कि अफसोस की बात है कि मोदी के सफल गुजरात मॉडल को देशभर में लागू करने की बजाए उन्हीं की सरकार इस मॉडल की उपेक्षा कर रही है।

नीसा के उपाध्यक्ष राजेश मल्होत्रा ने बताया कि आरटीई का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में बच्चों के नामांकन करने तक ही सीमित रह गया है और गुणवत्ता युक्त शिक्षा उनके एजेंडे में दूर दूर तक नहीं है। आरटीई के तहत आरक्षित 25 प्रतिशत दाखिलों के ऐवज में मिलने वाला भुगतान कई कई वर्षों तक नहीं किया जाता है और आए दिन नए नए कानून बनाकर संचालकों की राह में रोड़े अटकाए जाते हैं।

यह खबर ई-ईनाडु के वेबसाइट पर पढ़ें।