अमर उजाला | 15 जनवरी 2018
मकर संक्रांति पर देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पतंग उड़ाने का रिवाज है। मगर क्या आपको मालूम है कि पतंग उड़ाने व उसकी मरम्मत करने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। पतंग ही नहीं अगर आप बैलून भी उड़ाना चाहते हैं तो उसके लिए लाइसेंस चाहिए।
बेकार हो चुके कानूनों पर शोध करने वाले और थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी और देशभर के पांच बड़े लॉ शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने कानून का हवाला देकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू से लाइसेंस मांगा है।
दरअसल पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस की मांग करने वाले छात्रों ने उड्डयन मंत्री को लाइसेंस के लिए एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 का हवाला दिया है, जिसके तहत उड़ाई जाने वाली वस्तुओं, जिसमें पतंग और बैलून भी शामिल है का जिक्र किया गया है।
कानून के मुताबिक, अगर उड़ाने वाली वस्तु को बगैर लाइसेंस के उड़ाया गया तो कानून में 10 लाख रुपये के जुर्माने के साथ दो साल तक की जेल का प्रावधान है। लाइसेंस मांगने वालों में देश के पांच लॉ शिक्षण संस्थानों में महाराष्ट्र नेशनल लॉ कॉलेज, सिम्बॉयसिस लॉ स्कूल नोएडा, हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ विश्वविद्यालय रायपुर, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया विश्वविद्यालय बंगलुरू और द नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च हैदराबाद शामिल है।
सिम्बॉयसिस लॉ स्कूल नोएडा की एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीति शिखा के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पुराने व गैर जरूरी कानूनों को समाप्त करने की वकालत कर चुके हैं। उनके इस अभियान में सहयोग करने के लिए हम लोगों ने थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के साथ ऐसे कानूनों का पता लगाने का शोधकार्य शुरू किया है।
इस दौरान ही हमें एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 का पता लगा जिसमें पतंग व बैलून उड़ाने के लिए लाइसेंस का प्रावधान है। सीसीएस के नीतेश आनंद ने बताया कि पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस लेने का यह कानून अंग्रेजों के जमाने का कानून है।
इस कानून का पता लगने के बाद इसमें सुधार के लिए हम लॉ कमीशन व प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख चुके है। कानून का मान रखने के लिए ही हमने पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस मांगा है। अगर लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है तो तो कम से कम इसमें आवश्यक सुधार ही कर दिया जाए।
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