उड़ चली उम्मीदों की 'पतंग'
- गरीब कोटे के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश
- टेगौर इंटरनेशनल, हेरिटेज स्कूल के बाद डीपीएस में भी हुई शुヒआत
शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में स्कूलों में 25 फीसद गरीब कोटा लागू किया गया है। इसके माध्यम से वंचित वर्ग के बच्चों के लिए निजी स्कूलों के दरवाजे तो खुल गए हैं, लेकिन अब भी अध्ययन व सामाजिक स्तर पर सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों से ये बच्चे पिछड़े नजर आते हैं। स्कूली शिक्षा में सामान्य व गरीब कोटे के बच्चें के बीच इस खाई को पाटने का काम 'पतंग' नामक विशेष प्रोग्राम के माध्यम से किया जा रहा है। इस प्रोग्राम के जरिए दिल्ली के तीन नामचीन स्कूलों में शुमार टेगौर इंटरनेशनल (वसंत विहार), हेरिटेज स्कूल (वसंत कुंज) और डीपीएस (वसंत विहार) अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों की क्षमताओं के विकास कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश हो रहे हैं।
सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी (सीसीएस) व टेक महिंद्रा फाउंडेशन के इस सांझा प्रयास के विषय में सीसीएस के अध्यक्ष पार्थ जे शाह ने बताया कि इस प्रयास का मूल उद्देश्य उन बच्चों को विशेष तवज्जो देना है, जो अन्य आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवारों के बच्चों की अपेक्षा शैक्षणिक मोर्चे पर कमजोर हैं। आरटीई लागू होने से दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर में गरीब कोटे के विद्यार्थियों के लिए निजी स्कूलों के दरवाजे तो खुल गए हैं, लेकिन वहां पढ़ने वाले संपन्न व मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों के मुकाबले आज भी इन बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा मुश्किल है। हम नहीं चाहते हैं कि ये बच्चे अपनी कमियों के चलते आने वाले सालों में शेष 75 फीसद बच्चों के मुकाबले खुद को पिछड़ा महसूस करें और सरकार की ओर से मिले अवसर का लाभ से वंचित हों। 'पतंग' के माध्यम से हम इन बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निशुल्क ट्यूशन व अन्य माध्यमों का इस्तेमाल कर उनकी बौद्धिक क्षमताओं और व्यक्तित्व का विकास कर रहे हैं।
उसी परिसर में लगती है क्लास
पतंग के प्रोजेक्ट मैनेजर निकुंज ने बताया कि करीब दो माह पहले दिल्ली के टेगौर इंटरनेशनल से हुई ये शुヒआत पहले हेरिटेज स्कूल और मंगलवार को डीपीएस, वसंत विहार तक आ पहुंची है। टेगौर इंटरनेशन व डीपीएस स्कूल में हम पतंग प्रोजेक्ट के माध्यम से गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को स्कूल की छुट्टी होने के बाद उसी परिसर में अपने प्रशिक्षित शिक्षकों की मदद से अतिरिक्त अध्ययन का अवसर उपलब्ध कराते हैं। जहां तक हेरिटेज स्कूल की बात है तो यहां न सिर्फ गरीब कोटे बल्कि अन्य श्रेणियों के बच्चों को भी अध्ययन का अवसर पतंग प्रोजेक्ट में मिलता है। तीनों ही स्कूलों में इस प्रोजेक्ट का फायदा केजी से चौथी कक्षा तक के 50 से 70 बच्चों को मिल रहा है।
ऐसे होता है बच्चों का चुनाव
पतंग प्रोजेक्ट के लिए बच्चों का चुनाव स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के साथ निरंतर बातचीत के माध्यम से किया जाता है। प्रोजेक्ट से जुड़े लोग शिक्षकों से जानते हैं कि कक्षा में कौन सा बच्चा अध्ययन व अन्य आवश्यक स्किल्स के स्तर पर कमजोर है और फिर उस बच्चे व उनके अभिभावकों से बात कर न सिर्फ बच्चे बल्कि जरूरत पड़ने पर उसके अभिभावकों के लिए भी स्कूल की छुट्टी होने के बाद विशेष कक्षाओं का आयोजन किया जाता है। इस तरह इन विशेष कक्षाओं में विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद से सेंटर फॉर सिविल सोसायटी अन्य विद्यार्थियों से पिछड़ रहे बच्चों को निशुल्क मुख्यधारा से जोड़ने का काम करती है।
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