नवोदय टाइम्स | 09 September 2016
दिल्ली हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय और सभी नगर निगमों को नोटिस जारी कर स्कूली छात्रों के लर्निंग असेसमेंट (सीखने की क्षमता का मूल्यांकन) की योजना को लेकर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने यह नोटिस अग्रणी थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। याचिका को 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने वाले शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) में वर्णित सभी कक्षाओं के छात्रों के मूल्यांकन की बात को आधार बनाकर दायर किया गया है।
विदित हो कि दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘चुनौती 2018’ योजना बनाई गई है। योजना के तहत छठीं से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के सीखने की क्षमता का मूल्यांकन कर उसमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात की गई है। सरकार द्वारा इस बाबत कराए गए हालिया मूल्यांकन में 6वीं कक्षा के 74% छात्रों के द्वारा हिंदी की किताब तक पढ़ने में अक्षमता उभर कर आयी थी।
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने सीसीएस द्वारा सभी कक्षाओं के छात्रों के मूल्यांकन के बाबत दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राजधानी के सभी चारों नगर निगमों और दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने उक्त सभी एजेंसियों से 28 नवंबर से पहले-पहले तक अपने जवाब दाखिल कराने को कहा है। सीसीएस की ओर से मामले में जिरह करते हुए वकील प्रशांत नारंग ने बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून को स्कूल जाने के अधिकार तक सीमित कर दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार को सीखने की क्षमता में सुधार की बजाए स्कूल भवनों के निर्माण, अध्यापकों की भर्ती और शौचालयों के निर्माण आदि पर ही जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि समय समय पर होने वाले सरकारी व गैर सरकारी अध्ययनों से सिद्ध होता है कि शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट हो रही है। आरटीई सरकार, स्थानीय प्रशासन व अध्यापकों को कानूनी रूप से शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चत करने के लिए बाध्य करता है। प्रशांत के मुताबिक दिल्ली सरकार की ‘चुनौती 2018’ योजना के तहत 6वीं से 8वीं कक्षा के छात्रों के सीखने की क्षमता के मूल्यांकन (लर्निंग असेसमेंट) की तर्ज पर प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों का मूल्यांकन भी किया जाना जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मूल्यांकन से तात्पर्य कमजोर छात्रों को फेल करना नहीं बल्कि उनके कमजोर पक्षों पर विशेष ध्यान देकर प्रदर्शन सुधारना है।
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