जागरण, 10 अक्टुबर 2015
राजधानी में यदि शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत स्कूलों को मान्यता देने की व्यवस्था लागू की गई तो नए सत्र में करीब 1400 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय बंद हो जाएंगे। शिक्षा का अधिकार कानून के नियम 18 व 19 के अंतर्गत स्कूलों को मान्यता प्रदान करने के नियमों का वर्णन है। इनमें छात्र शिक्षक अनुपात, कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या, खेल का मैदान आदि बातों का जिक्र है। सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के एसोसिएट डायरेक्टर (एडवोकेसी) अमित चंद्र ने बताया कि दिल्ली और गुजरात में पब्लिक स्कूलों की स्थिति लगभग एक सी है। वहां भी शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने पर स्कूलों के सामने मान्यता की परेशानी आ गई थी। जमीन की अनिवार्यता को दरकिनार कर सरकार ने निर्णय किया कि वो अन्य पहलुओं को देखते हुए स्कूलों का आकलन करेगी। गुजरात सरकार अपने यहां चल रहे स्कूलों को बच्चों के लर्निग असेस्मेंट टेस्ट के माध्यम से मान्यता प्रदान करती है। यानी बच्चे यदि बेहतर ढंग से अध्ययन कर रहे हैं और सीख रहे हैं तो स्कूल की मान्यता जारी रहेगी, चाहे वो कितनी ही जमीन पर क्यों न चल रहा हो। अमित कहते हैं कि दिल्ली के मामले में भी इसी व्यवस्था को लागू किए जाने की जरूरत है, क्योंकि यहां लागू जमीन की अनिवार्यता के चलते कई स्कूल बंद हो सकते हैं।
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट ऐसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन का कहना है कि दिल्ली में स्कूलों को मान्यता प्रदान करने के लिए लागू नियमों के अनुसार एक माध्यमिक विद्यालय के लिए नियमित कॉलोनी में 800 मीटर और अनियमित कॉलोनी में 700 गज जमीन अनिवार्य रूप से चाहिए। इसी तरह प्राथमिक स्कूलों के लिए कम से कम 200 गज जमीन होना अनिवार्य है। दिल्ली में करीब ऐसे 1400 स्कूल हैं जो इस नियम को पूरा करने में असमर्थ हैं। पहले इन स्कूलों को राहत दी जा रही थी, लेकिन इस बार ऐसा मुमकिन नहीं है। कारण है कि इस बार इन स्कूलों की जांच की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार व दिल्ली नगर निगमों को दी गई थी जिसे सितंबर में पूरा कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। आरसी जैन ने कहा कि नियमों के तहत ये स्कूल चलाए नहीं जा सकते हैं और नियमों में बदलाव की दिशा में प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इन स्कूलों का बंद होना तय है। दिल्ली में स्कूलों के लिए जमीन की अनिवार्यता का नियम नए मास्टर प्लान के अंतर्गत लागू है। इसे लेकर कुछ राहत का प्रावधान किया जा चुका है। बावजूद इसके 1400 स्कूल नियमों पर खरे नहीं उतरते हैं। शिक्षा निदेशालय के एक आलाधिकारी ने बताया कि इस समस्या के निदान के लिए जरूरी है कि मास्टर प्लान के स्तर पर राहत की व्यवस्था हो। इसके लिए दिल्ली सरकार को पहल करनी होगी और केंद्र सरकार को सहयोग करना होगा।
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