दैनिक जागरण, 20 नवंबर 2015
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा कि जनप्रतिनिधि यदि मुक्त बाजार व मुक्त व्यापार के मुद्दे के साथ जनता के बीच जाएंगे तो ज्यादातर की हार पक्की है। वह शुक्रवार को सेंटर फोर सिविल सोसायटी व फ्रेडरिक न्यूमन फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में लिब्रलिज्म इन इंडिया : पास्ट, प्रजेंट एंड फ्यूचर विषय पर आयोजित कांफ्रेस को संबोधित कर रहे थे।
थरूर ने बतौर संसद सदस्य अपने अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चीजें वोट बैंक के द्वारा तय होती है। उदारवादी चिंतक एसवी राजू के विचारों को अधिकतम रूप में यदि कोई राजनीतिक दल आत्मसात कर सकता है तो वो कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि अंतिम दिनों में राजू का झुकाव भाजपा और मोदी की तरफ हो गया था, लेकिन हमें समझना होगा कि छोटी - छोटी राजनीतिक घटनाओं से देश में उदारवाद नहीं आ सकता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी व भाजपा ने चुनावों के दौरान उदारवादी नारों का बखूबी इस्तेमाल किया और प्रबुद्ध लोगों का समर्थन हासिल करने में सफल रहे।
कांफ्रेस के दौरान ऑक्सस इन्वेस्टमेंट्स के चेयरमैन व एमडी सुरजीत एस. भल्ला द्वारा 'टुवर्ड्स ए लिबरल इंडिया: रिथिंकिंग रिजर्वेशन', फर्स्ट पोस्ट व फोर्ब्स इंडिया के एडिटर इन चीफ आर जगन्नाथन द्वारा 'रिलिजियस एंड कल्चरल फ्रीडम इन इंडिया: बोथ टू लिटिल एंड टू मच', सेंटर फोर सिविल सोसायटी के अध्यक्ष पार्थ जे शाह द्वारा 'वेलफेयर स्टेट वर्सेस वेलफेयर सोसायटी: राइट्स, एनटाइटलमेंट्स एंड एम्पेथी', लोकसत्ता पार्टी के संस्थापक जेपी नारायण द्वारा 'लिबर्टी एंड लोकस ऑफ पॉवर', लिबर्टी इंस्टिट्यूट के संस्थापक निदेशक बरून मित्रा 'लिब्रलिज्म फॉर हूम', तक्षशिला फाउंडेशन के निदेशक नितिन पाइ द्वारा 'लिबर्टी एंड सिक्योरिटी इन रैडिकली नेटवर्कड सोसायटीज: ए चैलेंज फॉर एवरी जेनरेशन' व सॉफ्टवेयर कंपनी एम्फेसिस के संस्थापक व पूर्व सीईओ जयतीर्थ राव द्वारा 'वाय लिबरल पार्टीज फेल' विषयों पर पेपर प्रस्तुत किए गए।
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