प्रदेश 18 | 01 December 2016
स्कूल न जा पाने वाले बच्चों के लिए उनके हमउम्र यानी 10-12 साल के बच्चों की कोशिश से शिक्षा की सूरत बदलने का बड़ा वाकया सामने आया है. इस पहल करनेवालों को दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में सम्मानित किया जाएगा. इनका सम्मान स्थानीय शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, सांसद उदित राज और जय पांडा करेंगे.
बच्चों की कोशिश से बदलाव की यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अमरा गांव में महसूस की जा रही है. दरअसल एक स्वयं सहायता समूह की प्रेरणा से स्थानीय स्कूल में पढ़ने वाले 10-12 साल के कुछ छात्र-छात्राओं ने स्कूल न जाने वाले बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. स्कूली बच्चों ने यहां खेत-खलिहान के आस-पास अन्य बच्चों को बैठाकर पढ़ाना शुरू किया.
बच्चों के बाद पढ़ाई में शामिल हुई मां-बहनें, सुधरा भविष्य
बच्चों को पढ़ता-पढ़ाता देख आस-पास की कुछ महिलाएं भी वहां बैठने लगीं. कुछ ही समय में वहां गांव की अधिकांश महिलाएं आकर पढ़ना-लिखना सीखने लगीं. अब ये महिलाएं न केवल अपना, अपने पति और अपने बच्चों का नाम आदि लिख पाती हैं बल्कि खुद ही बैंक जाकर जमा, निकासी का काम भी करने लगी हैं.
आसपास के गांवों में पहुंच गई है ऐसी खास ट्यूटोरियल्स
महिलाओं को लिखना पढ़ना सिखा रही लगभग 12 वर्षीय छात्रा कविता इस अभियान की सफलता से अत्यंत खुश है. वह बताती हैं कि सुबह पहले वह खुद स्कूल जाती है और बाद में आकर दूसरों को पढ़ाती है. वह कहती हैं कि उसके हमउम्र अन्य छात्र-छात्राएं भी ऐसी कक्षाएं अलग-अलग जगहों पर लगाते हैं.
वीडियो के जरिए दिखाई जा सकती है ऐसी 200 कहानियां
अमरा गांव की महिलाओं और बच्चों की तरक्की के साथ ही कविता सहित अन्य छात्र-छात्राओं के योगदान की यह कहानी पांच मिनट के एक वीडियो के रूप में सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) तक पहुंची. इसके बाद शिक्षा के क्षेत्र की चुनौतियों, नवाचारों और जश्न से संबंधित दुनिया भर की ऐसी दो हजार से अधिक अन्य कहानियां भी फिल्म के रूप में सीसीएस तक पहुंची है.
इंडिया हैबिटेट सेंटर में होगा बच्चों की बनाई फिल्मों का प्रदर्शन
सीसएस की ओर से इनमें से श्रेष्ठ फिल्मों की स्क्रीनिंग इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म कॉम्पिटीशन 'एडुडॉक' के दौरान आगामी 3 दिसंबर को इंडिया हैबिटेट सेंटर में की जाएगी. इस दौरान देशभर के स्कूलों में छठीं से नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा बनाई गई पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. श्रेष्ठ फिल्मों और पेंटिंग को पुरस्कृत भी किया जाएगा.
शिक्षा जगत के अहम बदलावों का गवाह बनेगी दिल्ली
इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म कॉम्पटिशन एंड पेंटिंग कॉम्पटिशन (एडुडॉक) के संयोजक नीतेश आनंद बताते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र की महत्वपूर्ण चुनौतियों, नवाचारों और जश्न को राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करने व उन्हें नीति निर्धारकों, शिक्षाविदों और अन्य महत्वपूर्ण लोगों तक पहुंचाने के लिए सीसीएस ने यह प्रतियोगिता आयोजित की है.
कॉम्पिटीशन में शामिल हुए दुनियाभर के बच्चे
प्रतियोगिता के लिए एशियाई देशों नेपाल, बांगलादेश, श्रीलंका, ईरान, रूस, यूरोपीय देशों फ्रांस, नॉर्वे, फिनलैंड, अफ्रीकी देशों केन्या, तंजानिया, नाईजीरिया, नॉर्थ अमेरिकी देशों यूएस, कनाडा और साउथ अमेरिकी देशों अर्जेंटिना, बोलिविया आदि से कुल 2084 प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं. वहीं पेंटिंग कॉम्पटिशन के लिए 200 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं हैं. इनमें से पांच श्रेष्ठ फिल्मों की स्क्रीनिंग इंडिया हैबिटेट सेंटर में की जाएगी.
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