दैनिक भास्कर, 08 नवम्बर 2015
नईशिक्षा नीति पर सेंटर फोर सिविल सोसायटी ने केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय को अपनी आपत्ति गिनवाई हैं। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि नई शिक्षा नीति निर्माण के लिए राज्य, जिला और पंचायत स्तर पर जो प्रश्नोत्तरी बनाई गई है, वह प्रासंगिक नहीं है। साथ ही नीति निर्माण में उस पक्ष को शामिल नहीं किया जा रहा, जिसका असर नई नीति पर सबसे ज्यादा होना है।
सोसायटी की ओर से गठित नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एलायंस (निशा) के उपाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल ने एमएचआरडी में बताया कि नई शिक्षा नीति पर जो प्रश्नोत्तरी जारी की गई है, उसमें पूछा जा रहा है कि कक्षा या स्कूल में टीचर नहीं रहे तो आप क्या करेंगे। इस सवाल का जवाब पंचायत या जिला स्तर पर कोई साधारण व्यक्ति कैसे देगा। ऐसे ही जो लोग शिक्षा नीति निर्माण में कंसल्टेंसी का काम कर रहे हैं, उन्हें सतही जानकारी नहीं है। इसलिए इसका प्रासंगिक होना जरूरी है। क्योंकि विचार-विमर्श के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया है, उसकी जानकारी भी अधिकतम लोगों को नहीं है। निशा के कार्यकारी निदेशक अमित चंद्रा ने बताया कि एमएचआरडी मंत्री की ओएसडी शकीला टी समसु ने उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुन सिविल सोसायटी और निशा की ओर से लिखित सुझाव भेजने को कहा।
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