सफल हुआ वकीलों का प्रयास, अब दो करोड़ तक के मामले निचली अदालतों में निपटेंगे

ईनाडु इंडिया हिंदी, 05 अगस्त 2015

नई दिल्‍ली। दो करोड़ रुपये तक के सिविल मामले दिल्ली की निचली अदालतों में भेजने संबंधी बिल पास कराने की मांग को लेकर 22 जुलाई से दिल्ली की निचली अदालतों में चल रही हड़ताल आखिरकार खत्म हो गई है। बुधवार को संसद में यह बिल पास हो गया है। जिस पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए वकीलों ने तुरंत प्रभाव से हड़ताल वापस ले ली है और बृहस्‍पतिवार को सुबह 11 बजे तीस हजारी कोर्ट में वकील अपनी जीत का जश्न मनाएंगे।

गौरतलब है कि 22 जुलाई से वकील हड़ताल पर थे ओर 27 जुलाई से भूख हड़ताल पर बैठे थे। वहीं इस मामले में कुछ दिन उच्च न्यायालय के वकीलों ने भी हड़ताल की थी, परंतु 27 जुलाई को अपनी हड़ताल खत्म कर दी थी।

ऑल बार कोओर्डिनेशन कमेटी के कंवेयर संजीव नसियार ने बताया कि पूरी वकील बिरादरी बिल पास होने से खुश है। इसके लिए वह सभी राजनीतिज्ञ पार्टियों के दिल से अभारी है। उन्होंने विशेष तौर कानून मंत्री सदानंद गौड़ा, वित्त मंत्री अरूण जेतली, केंद्रीयमंत्री वैंकेया नायडू व अन्य का आभार प्रकट किया। उन्होंने बताया कि तुरंत प्रभाव से हड़ताल खत्म की जा रही है और गुरुवार से वकील अपना कामकाज शुरू कर देंगे।

इस बिल के पास होने के बाद अब दो करोड़ रुपए से ज्यादा के सिविल मामले ही दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर हो पाएंगे। इससे कम के मामले अब दिल्ली की निचली अदालतों में सुने जाएंगे।

12 हजार मामले हाईकोर्ट से निचली अदालतों में होंगे स्‍थानातंरित

इस पूरे मामले को लेकर सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) के अधिवक्‍ता प्रशांत नारंग ने ईनाडु इंडिया को बताया कि लोकसभा में दिल्ली हाईकोर्ट अमेंडमेंट बिल, 2014 पारित कर दिया गया। राज्यसभा से यह बिल 6 मई 2015 को ही पारित हो चुका है। नए प्रावधानों के मुताबिक अब 20 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक के दीवानी मामलों की सुनवाई जिला न्यायालयों में की जा सकेगी।

उन्‍होंने बताया कि इस नई व्‍यवस्‍था के तहत लगभग 12 हजार मामले हाईकोर्ट से निचली अदालतों में स्थानांतरित होंगे। इसके साथ ही लोगों का भी फायदा होगा। एक तरफ जहां उनके मामलों की सुनवाई पड़ोस के कोर्ट में हो सकेगी वहीं उन्हें आर्थिक लाभ भी होगा क्योंकि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के वकीलों की फीस हाईकोर्ट से कम होती है। नए प्रावधानों के कारण मामलों की त्वरित सुनवाई संभव हो सकेगी और बाद में यदि याचिकाकर्ता चाहे तो हाईकोर्ट में अपील कर सकेगा।

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