मंत्रालय इस पर विचार करेगा और इन विक्रेताओं को कर्ज उपलब्ध कराने के तरीके खोजेगा।
आवासीय और शहरी मामलों का मंत्रालय नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन (एनयूएलएम) के तहत देश में फेरी वाले विक्रेताओं (स्ट्रीट वेंडर्स) के लिए 'मोबाइल शॉप' कांसैप्ट लागू करने पर विचार कर रहा है। मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि इस कांसैप्ट के तहत फेरी वाले दुकानों (मोबाइल शॉप) के मालिक को गली-मोहल्लों में फेरी लगाकर बिक्री करने के लिए लाइसेंस दिए जाएंगे।
मंत्रालय द्वारा हाल में फेरी वाले विक्रेताओं के विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में यह विचार सामने आया। मिश्र ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स पर आयोजित हाल की राष्ट्रीय कार्यशाला में कई सुझाव सामने आए। इसमें से एक सुझाव था कि फेरी वाले दुकानों को अनुमति दी जाए। मंत्रालय इस पर विचार करेगा और इन विक्रेताओं को कर्ज उपलब्ध कराने के तरीके खोजेगा।
उन्होंने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के तहत देश के 2,430 शहरों में अब तक 18 लाख स्ट्रीट वेंडरों की पहचान की गई है। 2,344 स्ट्रीट वेंडर कमेटीज का गठन किया गया है और इस कानून के तहत नौ लाख स्ट्रीट वेंडर्स को पहचान पत्र जारी किए गए हैं। स्ट्रीट वेंडर्स समाज को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं इसलिए उन्हें सुरक्षा दिए जाने की जरूरत है।
शुक्रवार को आयोजित हुई कार्यशाला में एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी (सीसीएस) ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के कार्यान्वयन पर एक प्रगति रिपोर्ट भी जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक इस कानून को लागू करने के मामले में तमिननाडु देशभर में सबसे आगे रहा, जबकि नगालैंड का प्रदर्शन बहुत खराब रहा।
मंत्रालय के मुताबिक एनयूएलएम का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से शहरी बेघरों को जरूरी सुविधाओं से युक्त रैन बसेरा उपलब्ध कराना है। यह शहरों के स्ट्रीट वेंडर्स की जीविका से जुड़ी समस्याओं पर भी काम करता है।