दैनिक भास्कर, 30 अक्टूबर 2015
नई दिल्ली: यहां एक फिल्म फेस्टिवल में बीफ के मुद्दे पर बनी 21 मिनट की डॉक्युमेंट्री फिल्म नहीं दिखाई जा सकेगी। इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री ने इस फिल्म को सर्टिफिकेशन से छूट देने से इनकार कर दिया है। 2014 में बनी इस डॉक्युमेंट्री का टाइटल है, 'Caste on the Menu Card' जो मुंबई में बीफ खाने की परंपरा पर आधारित है। फिल्म को शनिवार शाम पांच बजकर दस मिनट पर दिखाया जाना था।
क्या है मामला?
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, 12वां जीविका एशिया लाइवलीहुड डॉक्युमेंट्री फेस्टिवल 2015 शुक्रवार से दिल्ली में शुरू हुआ। फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली सभी 35 फिल्मों को सर्टिफिकेशन प्रॉसेस से छूट दिए जाने के लिए इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री को भेजा गया था। सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी के मुताबिक, उन्हें बताया गया है कि सिर्फ इसी (बीफ पर बनी) फिल्म को सर्टिफिकेशन प्रॉसेस से छूट नहीं दी जा सकती। सीसीएस के मुताबिक, छूट नहीं दिए जाने के लिए देश में बीफ बैन को लेकर बने राजनीतिक माहौल की दलील दी गई। बता दें कि फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली डॉक्युमेंट्री फिल्मों को सर्टिफिकेशन से छूट दिया जाना एक सामान्य प्रक्रिया है।
क्या कहना है सरकार का?
I&B मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि Caste on the Menu Card डॉक्युमेंट्री को छूट इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि फिल्म के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी कहा है कि पूरी जानकारी मुहैया कराए जाने पर वे इस मामले पर दोबारा से विचार कर सकते हैं।
क्या कहना है डॉक्युमेंट्री मेकर्स का?
फिल्म को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्कूल ऑफ मीडिया एंड कल्चरल स्टडीज के स्टूडेंट्स ने बनाया है। स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्हें मंत्रालय के इस फैसले से काफी धक्का लगा है। वहीं, फेस्टिवल के डायरेक्टर मनोज मैथ्यू ने कहा, ''हमें पहली बार इस तरह के हालात का सामना करना पड़ रहा है।''
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